The Greatest Guide To Shodashi

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The power level in the midst of the Chakra displays the best, the invisible, as well as the elusive center from which your complete figure Bhandasura and cosmos have emerged.

कर्तुं श्रीललिताङ्ग-रक्षण-विधिं लावण्य-पूर्णां तनूं

सौवर्णे शैलश‍ृङ्गे सुरगणरचिते तत्त्वसोपानयुक्ते ।

दक्षाभिर्वशिनी-मुखाभिरभितो वाग्-देवताभिर्युताम् ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥४॥

नौमीकाराक्षरोद्धारां सारात्सारां परात्पराम् ।

यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी here ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।

लक्ष्या मूलत्रिकोणे गुरुवरकरुणालेशतः कामपीठे

दुष्टानां दानवानां मदभरहरणा दुःखहन्त्री बुधानां

She's depicted being a sixteen-calendar year-aged Female with a dusky, purple, or gold complexion and a 3rd eye on her forehead. She is without doubt one of the 10 Mahavidyas and is revered for her elegance and power.

Philosophically, she symbolizes the spiritual journey from ignorance to enlightenment and is particularly related to the supreme cosmic electricity.

The worship of Tripura Sundari is actually a journey towards self-realization, exactly where her divine splendor serves as being a beacon, guiding devotees to the ultimate fact.

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१०॥

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